मोह मछलियों का अब छोड़।

समस्त बुद्धपुरुषों ने एक ही पुकार दी है,
सतत एक ही पुकार दी है कि जितने जल्दी हो सके
इस बात को समझ लो कि जीवन एक अवसर है।
इस अवसर में कूड़ा-करकट भी इकट्ठा कर सकते हो,
परमात्मा की संपदा भी पा सकते हो।
सतत एक ही पुकार दी है कि जितने जल्दी हो सके
इस बात को समझ लो कि जीवन एक अवसर है।
इस अवसर में कूड़ा-करकट भी इकट्ठा कर सकते हो,
परमात्मा की संपदा भी पा सकते हो।
जीवन एक जाल है,
अगर मछली फांसनी ही हो तो समाधि की फांसना;
उससे कम पर राजी मत होना।
उससे जो कम पर राजी हुआ है, नासमझ है।
जिसे यह दिखाई पड़ना शुरू हो जाए कि
जो भी मैं कर रहा हूं, करता रहा हूं,
व्यर्थ की आपाधापी है--
उसके जीवन में
संन्यास की किरण उतरती है...............
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अगर मछली फांसनी ही हो तो समाधि की फांसना;
उससे कम पर राजी मत होना।
उससे जो कम पर राजी हुआ है, नासमझ है।
जिसे यह दिखाई पड़ना शुरू हो जाए कि
जो भी मैं कर रहा हूं, करता रहा हूं,
व्यर्थ की आपाधापी है--
उसके जीवन में
संन्यास की किरण उतरती है...............



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